ग्वालियर की *डॉ गीता सिंह की कीर्ति पुस्तिका में जुड़ेगा एक और नया अध्याय*

 शारीरिक शिक्षा व प्रशिक्षण को नए आयाम देने के लिए पाएंगी नेशनल अवार्ड


ग्वालियर।


*"हमने जब भी पंख खोले हैं उड़ानों के लिए।*
*हम चुनौती बन गए हैं आसमानों के लिए।।"*
इन पंक्तियों को एक बार फिर साकार किया है शहर की सुपरिचित शिक्षाविद डॉ. गीता सिंह सिसौदिया ने, जिनकी उपलब्धियों की किताब में एक और अध्याय आगामी
01 दिसम्बर को जुड़ने जा रहा है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक डॉ गीता सिंह को अहमदाबाद में आयोजित भव्य समारोह में "बेस्ट नेशनल फिजिकल एजुकेशन टीचर अवार्ड" से सम्मानित किया जाएगा। खास बात यह है कि समारोह के मुख्य अतिथि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे। देश-विदेश की नामचीन हस्तियां इस गौरवमयी कार्यक्रम में चार चांद लगाएंगी। उल्लेखनीय है कि दो गीता सिंह पूर्व सीएसपी स्व.महेन्द्रपाल सिंह कुशवाह की पुत्री हैं। जिनका अपना कार्यकाल शौर्य और उपलब्धियों से परिपूर्ण रहा है। डॉ गीता सिंह को हाल ही में दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित समारोह में "PEFI 2019 अवार्ड" से भी नवाजा गया है। इसी क्रम में फिजिकल एजुकेशन के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिये उन्हें यह अवार्ड प्रदान किया जाना तय हुआ है। 
 ✍🏻 *एक नज़र समूचे जीवन-वृत्त पर.....*
डॉ. गीता सिंह का जन्म  महर्षि गालव की नगरी ग्वालियर में ही हुआ। आपकी प्रारंभिक शिक्षा शा. पदमा विद्यालय ग्वालियर में ही हुई। पुलिस विभाग में वरिष्ठ अधिकारी के रूप में पदस्थ पिता से जीवन में सख्त अनुशासन का बीजारोपण हुआ। चूंकि स्व. श्री महेन्द्रपाल सिंह कुशवाह के कार्यकाल का अधिकांश समय वालियर में ही बीता। लिहाजा अनुशासन और कर्तव्यपालन का सबक़ समूचे परिवार को एक साथ मिला। जीवन को एक नया मोड़ 26 अप्रैल 1983 को आया, जब आपने दाम्पत्य जीवन मे पदार्पण किया। विवाह के उपरांत भी आपने शिक्षा को जारी रखने का संकल्प लिया। जो उस दशक में एक कठिन चुनोती समझा जाता था। आगरा के एक संभ्रात परिवार में नववधु के तौर पर पदार्पण के बाद आपके संकल्प की राह सुगम रही। जिसकी वजह बने आपके धर्मपिता (श्वसुर) जिन्होंने स्वयं इंग्लैड से डॉक्टरेट की उपाधि अर्जित की हुई थी। डॉ. रघुराज सिंह सिसोदिया शिक्षा का महत्व बधूबी जानते थे। इसीलिये उन्होंने कभी भी अपनी बहू की शिक्षा साधना की राह में बंदिशें नहीं डाली। यही समय था जबडॉ गीता सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में बुलंदियों को हांसिल किया। चार विषयों में स्नातकोत्तर उपाधि लेते हुए बीपीएड, एमपीएड जैसी उपाधियां LNIPE ग्वालियर से अर्जित की। शिक्षा के उच्च आयकम स्थापित करने की ललक के चलते आपने न केवल एलएलबी व एलएलएम वरन पीएचडी भी की। पढ़ाई के साथ-साथ 1993 से शासकीय सेवा भी अनवरत जारी बनी रही।
✍🏻 *लगन और समर्पण से जारी रहा सफलता का सफर.....*
जीवन में बुलंदियों को छूने का अवसर आपको शिक्षा के प्रति लगन व समर्पण के बलबूते प्राप्त हुआ। आपको वर्ष 1996 में मानव संसाधन मंत्रालय दिल्ली  की ओर से सेमिनार के लिये फ्रांस भेजा गया। जहां आपने अंतरराष्ट्रीय समागम में देश की नुमाइंदगी की।  इस कामयाबी की सुगंध मध्यप्रदेश शासन रकि पहुंची और NCERT के तहत योग व कस्तूरबा गांधी स्कूल के पाठ्यक्रम निर्धारण में आपकी भूमिका सुनिश्चित की गई। मध्यप्रदेश शासन की ओर से तमाम शैक्षिक व अकादमिक संगोष्ठियों में भी आपको प्रतिनिधित्व का अवसर दिया गया। स्वास्थ्य एवं शारिरिक शिक्षा सहित युवा आंदोलन के क्षेत्र में आपने कई पुस्तकें लिखीं। जिनमें दो पुस्तक वर्तमान में जीवाजी विश्विद्यालय के अंतर्गत बीएड के पाठ्यक्रम में भी शामिल हैं।
         यह कहना कतई अतिशयोक्तिपूर्ण नही होगा कि डॉ गीता सिंह ने अपनी मेधा और उपलब्धियों के बल पर बालिका शिक्षा, महिला सशक्तिकरण जैसी अवधारणाओं को पुष्ट किया है। "बेटियां माता पिता व परिवार ही नहीं दो कुलों का अभिमान होती है", इस बात को भी आपने सिद्ध कर दिखाया है। आगत 01 दिसम्बर 2019 को आपकी यशगाथा में जुड़ने जा रहा नया पृष्ठ न सिर्फ ग्वालियर बल्कि समूचे प्रदेश को गौरवान्वित करेगा।